Monday, April 7, 2014

व्यंग्य कविता :आ गया फिर चुनाव

                                                     - मिलन सिन्हा 

Communal Politics1लो, आ गया फिर चुनाव ! 
न जाने इस बार 
किस -किस की डूबेगी नाव 
इसी सोच में पड़े नेतागण 
घूमेंगे अब गाँव -गाँव
पहले जहाँ यदा -कदा ही 
पड़ते थे उनके पाँव 
लो, आ गया फिर चुनाव !

आज जब कि बाजार में 
कई चीजों का बना है अभाव 
और जो मिल भी रही है 
उनका चढ़ा हुआ है भाव 
तब हमारे गाँवों - गलियों में 
नेताओं का नहीं रहेगा अभाव 
लो, आ गया फिर चुनाव !

खेलेंगे हर खेल, चलेंगे हर दांव 
बदलते रहेंगे अपना हावभाव 
पर चुनाव समाप्त होते ही 
बदल जायेगा उनका स्वभाव 
और फिर ख़त्म हो जाएगा 
जनता से उनका कथित लगाव 
लो, आ गया फिर चुनाव !

                  और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं
 प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित

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