Tuesday, October 15, 2013

आज की कविता : ऐसा क्यों होता है

                                                    - मिलन सिन्हा
क्यों होता है ऐसा
जो खुद को
कहते नहीं थकते
दबंग, स्वस्थ, समर्थ
सर्वप्रिय नेता
सब मर्जों की दवा
दोषी साबित होते ही
जेल में कदम धरते ही
हो जाते हैं बीमार
बदहाल, लाचार
लगाते हैं  कोर्ट में
दया की गुहार
बताकर खुद को
कई रोगों के शिकार
खाए कोई अठारह-बीस गोली
तो कोई दिन में अस्सी गोली
असहाय लगे हैं दिखने
बदल गयी है बोली
तो क्या कल तक जो
दिखते थे शानदार,
दमदार और जानदार
वो होते हैं वाकई 
शाश्वत बीमार और लाचार
कहाँ  तब  यह सवाल 
कि जनता करे उन्हें स्वीकार !

                   और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

#  प्रवासी दुनिया .कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :14.11.2013

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