Wednesday, July 10, 2013

आज की कविता : जरूरी तो नहीं

                                      -मिलन सिन्हा
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तुम जो चाहो सब मिल जाये, जरूरी तो नहीं
तुम जो कहो सब ठीक हो, जरूरी तो नहीं।

दूसरों से भी मिलो, उनकी भी बातें सुनो
वो जो कहें सब गलत हो, जरूरी तो नहीं।

सुनता हूँ यह होगा, वह  होगा,पर होता नहीं कुछ
जो जैसा कहे, वैसा ही करे, जरूरी तो नहीं।

जिन्दगी के हर मुकाम पे  इम्तहान  दे रहा है आदमी
इम्तहान  के बाद ही परिणाम मालूम हो, जरूरी तो नहीं।

संघर्ष से मत डरो, प्रयास हमेशा तुम करो
हर बार तुम्हें हार ही मिले, जरूरी तो नहीं।

कहते हैं बेवफ़ाई एक फैशन हो गया है आजकल
पर हर कोई यहाँ बेवफ़ा हो, जरूरी तो नहीं।

जनता यहाँ शोषित है, शासक भी है यहाँ शोषक
हर शासक अशोक या अकबर हो, जरूरी तो नहीं।

जानता हूँ ‘मिलन’ का अंजाम जुदाई होता है
पर हर जुदाई गमनाक हो,जरूरी तो नहीं।

प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :10.07.2013

                और भी बातें करेंगे, चलते चलते असीम शुभकामनाएं 

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