Tuesday, June 11, 2013

आज की कविता : कैसा यह चलन

                             - मिलन सिन्हा 
modi and advani









कैसा है यह चलन
हर तरफ
जलन ही जलन
पद से बढ़ा रहें हैं
लोग
अपना अपना कद
हो रही है खूब आमद
और
खूब खुशामद
रहते हैं पूरा लक – दक
पद का ऐसा है मद
नहीं मानते आजकल
कोई भी हद
भले ही बीच में
क्यों न पिट जाए भद
ज्ञानी जन कहते हैं
पद को सर पर
न चढ़ने दें, वही अच्छा
समझे न जो इस सच को
समझ लें, समझदारी में
अभी भी हैं वह कच्चा
पद नहीं रहेगा जब
भ्रम टूटेगा तब ?

#  प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित, दिनांक :11.06.2013

                            और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

No comments:

Post a Comment