Saturday, March 16, 2013

आज की कविता : समाचार

                                 - मिलन सिन्हा 
समाचार 
वह फिर बिकेगा 
अच्छी कीमत मिलेगी उसे 
खरीददार पीछे पड़े है उसके 
शायद उसे इसके लिए 
फिर जेल भी जाना पड़े 
उसके कुकृत्य फिर अखबारों के 
मुखपृष्ठ पर रहे 
वह अपना चेहरा ढंकने का 
प्रयास भी करता फिरे 
फिर भी वह बिकेगा 
उसके खरीददार के लिए तो 
जीवन मरण का प्रश्न है 
हाँ भाई, वह जानता है 
अच्छी तरह जानता है 
कि 
उसे मिलनेवाली मोटी रकम 
गरीबों, दलितों, शोषितों के 
खाली पेट का अनाज है 
उनके अधनंगे बदन का कपड़ा है 
प्यासे लोग, प्यासी धरती का पानी है 
विकास के लिए आवश्यक 
सड़क का है, बिजली का है 
अनपढ़ बच्चों की शिक्षा का है 
पर इससे वह विचलित नहीं है 
क्यों कि 
उस जैसे लोगों के समाजवाद में तो 
पहले वह खुद है 
समाज बहुत - बहुत बाद में है !

('प्रभात खबर' में 21 सितम्बर,2008 को प्रकाशित)
                और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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