Sunday, February 3, 2013

हास्य व्यंग्य कविता : मनहूस चेहरा

                                                                          - मिलन सिन्हा 
netaji
मनहूस चेहरा 
पूरे  पांच वर्ष बाद चुनाव के समय 
जब नेताजी 
लौटकर अपने गाँव आए 
तो देखकर उन्हें 
गांववाले बहुत गुस्साए 
कहा, उनलोगों ने उनसे 
आप फ़ौरन यहाँ से चले जाइए 
और फिर कभी अपना यह मनहूस चेहरा 
हमें न दिखलाइए 
सुनकर यह 
नेताजी हो गए उदास 
कहा, लोगों को 
बुलाकर अपने पास 
भाई, अगर ऐसा करोगे 
तो बाद में 
तुम्ही लोग पछताओगे 
क्यों कि उस हालत में 
मुझे  यहीं रहना पड़ेगा 
और मेरा  यह मनहूस चेहरा 
तुमलोगों को  देखना पड़ेगा 
जिससे  
तुमलोगों की परेशानी  और बढ़  जाएगी 
और न ही 
मेरी समस्या सुलझ पाएगी 
इसीलिए तुमलोग फिर एकबार 
मुझे जीता कर  दिल्ली भेज दो 
और पूरे पांच साल के लिए 
मेरा यहाँ आना ही बंद कर दो !

 #  प्रवक्ता . कॉम पर प्रकाशित 
                                         और भी बातें करेंगे, चलते-चलते असीम शुभकामनाएं

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